Newsupdateup :- खबर बरेली के जिला नवाबगंज तहसील की है जहाँ प्रथमिक स्कूल से हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहाँ स्कूल में बच्चे अचानक से बच्चे दबने लगे और बता रहे कि भूत देखा और बच्चे जोर जोर से रोने लगे क्या है पूरी रिपोर्ट देखिए…..
स्कूल में अचानक बच्चे दबाने लगे अपनी गर्दन, कई बच्चों की बिगड़ी हालत, बच्चे बोले देखा था भूत, देखे …..
बरेली के नवाबगंज क्षेत्र के ग्राम ईंध जागीर के जूनियर हाईस्कूल में शनिवार को जो हुआ, उसने सभी को स्तब्ध कर दिया। स्कूल के कुछ बच्चे अचानक अजीब हरकतें करने लगे। कोई अपनी गर्दन दबा रहा था, तो कोई डर से चीख रहा था। बच्चों के इस व्यवहार ने पूरे स्कूल को दहशत में डाल दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि डॉक्टर और प्रशासन को तुरंत बुलाना पड़ा। बच्चों के मुताबिक, उन्हें “लंबे नाखून वाली सूरत” ने डराया। घटना को लेकर गांव और आसपास के इलाकों में चर्चा गर्म है।
अचानक क्यों बिगड़ी बच्चों की तबीयत?
घटना शनिवार दोपहर ढाई बजे के करीब शुरू हुई। कक्षा 6 की छात्रा शबनूर अचानक गश खाकर गिर पड़ी और अपने हाथों से गला दबाने लगी। यह देखकर सहपाठी और शिक्षक भी चौंक गए। इसके तुरंत बाद अन्य बच्चे—दीप्ति, लता, फरीन, सोहेल, इंद्रजीत, और अंजुम—भी उसी तरह की हरकतें करने लगे। सभी के चेहरों पर डर और दहशत साफ झलक रही थी।
जांच के लिए पहुंची डॉक्टरों की टीम
डॉक्टरों की टीम तुरंत स्कूल पहुंची और बच्चों की जांच की। हालांकि, किसी भी तरह की बीमारी या विषाक्तता के संकेत नहीं मिले। बच्चों के इस अजीब व्यवहार को लेकर डॉक्टरों ने इसे मानसिक दबाव, सर्दी या सामूहिक डर का परिणाम बताया।
घटना का विस्तार: छुट्टी से पहले अचानक हड़कंप
यह सब छुट्टी से कुछ समय पहले हुआ, जब बच्चे स्कूल में अपनी कक्षाओं में थे। बच्चों के अनुसार, उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई “लंबे-लंबे नाखून वाली सूरत” उनका गला दबा रही थी। कुछ बच्चों ने यह भी कहा कि उन्होंने “भूत जैसी छवि” देखी। शिक्षिका सुषमा और सायम सहरा ने तुरंत स्कूल प्रशासन और ग्राम प्रधान प्रेमशंकर गंगवार को सूचित किया। ग्राम प्रधान के साथ डॉक्टर विजय और उनकी टीम मौके पर पहुंचे। बच्चों की हालत देखकर तुरंत उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया।
मिड-डे मील पर सवाल
घटना के समय, बच्चों ने दोपहर एक बजे मिड-डे मील के तहत आलू-टमाटर की सब्जी और चावल खाया था। हालांकि, खाने को लेकर किसी भी छात्र ने कोई शिकायत नहीं की। यह संभावना भी जताई जा रही थी कि भोजन से कोई प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई।
डर का मनोवैज्ञानिक असर या कुछ और?
बच्चों के इस अजीब व्यवहार को लेकर विशेषज्ञ अलग-अलग राय दे रहे हैं।
चिकित्साधीक्षक डॉ. अमित गंगवार ने बताया कि बच्चों में किसी बीमारी के लक्षण नहीं पाए गए। उन्होंने कहा कि यह संभव है कि सर्दी, थकान, या वर्क लोड के कारण बच्चों की तबीयत बिगड़ी हो। संभवतः, एक बच्चे की हालत बिगड़ने पर अन्य बच्चे डर के कारण वही व्यवहार करने लगे। गांव के लोगों में घटना को लेकर अलग-अलग चर्चाएं हैं। कुछ इसे “भूत-प्रेत” का असर मान रहे हैं, तो कुछ इसे हवा या किसी अदृश्य शक्ति का प्रभाव कह रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटना सामूहिक हिस्टीरिया (Mass Hysteria) का उदाहरण हो सकती है। जब कोई बच्चा असामान्य व्यवहार करता है, तो उसे देखकर बाकी बच्चे भी डर और दबाव में वही करने लगते हैं।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही उपजिलाधिकारी ए.के. उपाध्याय और लेखपाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्चों और स्कूल स्टाफ से घटना की पूरी जानकारी ली। हालांकि, अभी तक कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है। पुलिस ने भी घटना को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार की है।
ग्रामीणों में दहशत और चर्चाएं
घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है। कई ग्रामीण इसे अंधविश्वास से जोड़ रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि स्कूल में किसी “अशुभ शक्ति” का असर है। वहीं, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल बच्चों की कल्पना है।
सामूहिक डर की मनोविज्ञानिक व्याख्या
इस प्रकार की घटनाओं को मनोविज्ञान में सामूहिक हिस्टीरिया कहा जाता है। जब एक व्यक्ति किसी डर या घबराहट का अनुभव करता है, तो उसके आसपास के लोग भी उसी डर को महसूस करने लगते हैं। यह विशेष रूप से बच्चों या किशोरों में अधिक देखने को मिलता है। डर और घबराहट के कारण शारीरिक लक्षण, जैसे—बेहोशी, गला दबाना, और चीखना-चिल्लाना—सामान्य हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।
क्या भूत-प्रेत का डर था
घटना के बाद से बच्चों की “लंबे नाखून वाली सूरत” की बात ने कहानी को और रहस्यमय बना दिया है। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह केवल बच्चों की कल्पना या किसी डरावने अनुभव का परिणाम हो सकता है। बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य जांचना और विशेषज्ञों की सलाह लेना जरूरी है। ग्रामीण इलाकों में भूत-प्रेत और अंधविश्वास को लेकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। बरेली के इस जूनियर हाईस्कूल की घटना ने न केवल स्कूल प्रशासन, बल्कि पूरे गांव को झकझोर दिया। बच्चों के डर और उनके विचित्र अनुभव ने सवाल खड़े किए हैं।