बरेली,यूपी। जिला बरेली के एडीजे रवि कुमार दिवाकर ने पीलीभीत बाइपास गोलीकांड के आरोपी हिस्ट्रीशीटर ललित सक्सेना को जानलेवा हमले के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते वक्त व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर को स्थानीय जेल में ही रखा जाता है। ऐसे में वह षड्यंत्र करके आपराधिक वारदात को अंजाम देता है। एक साल तीन माह तक चार्जशीट रोकने के लिए तत्कालीन सीओ प्रथम श्वेता यादव की भूमिका पर सवाल उठाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय में तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के एडीजे रवि कुमार ने विधानसभा 2022 के चुनाव मैदान में उतरीं इज्जतनगर के मोहल्ला होली चौक परतापुर चौधरी निवासी कृष्णा भारद्वाज पर हमले के मामले में बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया। इस दौरान एडीजे ने टिप्पणी की कि वारदात 21 नवंबर 2021 को हुई थी। केस डायरी का अंतिम पर्चा 24 फरवरी 2022 को कटा था।
24 फरवरी 2022 को ही चार्जशीट सीओ के पास पहुंच गई थी। सीओ प्रथम श्वेता यादव ने उसे एक साल तीन माह तक रोके रखा। चार्जशीट दो मई 2023 को कोर्ट के समक्ष पेश की गई। पुलिस रेगुलेशन के पैरा 122 के अनुसार सीओ सात दिन से ज्यादा चार्जशीट नहीं रोक सकते। सीओ ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया और अपराधी को लाभ पहुंचाया। उनके खिलाफ जांच और कार्रवाई अपरिहार्य है।
प्राइवेट कर्मियों के भरोसे काम कर रहे अहलमद
कोर्ट ने टिप्पणी की कि सीजेएम कार्यालय का हाल यह है कि वहां अगर 15-20 प्राइवेट कर्मचारी न हों तो अहलमद एक फाइल भी ढूंढने में सक्षम नहीं हैं। संबंधित अहलमद न्यायिक काम न करके अपराधियों के साथ पंचायत करते हैं। उनका काम प्राइवेट कर्मचारी करते हैं। प्राइवेट कर्मचारियों के विरुद्ध बरेली बार एसोसिएशन के पदाधिकारी समय-समय पर आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला।
अपराधियों-कर्मचारियों का गठजोड़ हावी, पीठासीन अधिकारी के समक्ष पेश नहीं की पत्रावली
कोर्ट ने कहा है कि अपराधियों-कर्मचारियों की सांठगांठ के कारण प्रश्नगत मामले की पत्रावली पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। सीजेएम न्यायालय में दो मई 2023 को आरोपपत्र दाखिल किया गया था। छह मई को एसीजेएम द्वितीय के न्यायालय में उसे अंतरिम कर दिया गया। आठ नवंबर, आठ दिसंबर 2023, 13 जनवरी, 16 फरवरी व 28 मार्च 2024 को पत्रावली पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं की गई। तीन जुलाई को इस कोर्ट में अंतरिम होने के बाद सुनवाई शुरू की गई।
महत्वपूर्ण अदालतों में विशेष प्रकार के कर्मचारियों की ही तैनाती
कोर्ट ने कहा कि कचहरी में स्थानीय कर्मचारियों की तैनाती होने से मामलों का शीघ्र निस्तारण नहीं हो पाता। जिला न्यायालय के चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के कर्मचारी अपराधियों से सांठगांठ कर लेते हैं। इन कर्मचारियों को कुछ समय के लिए हटा दिया जाता है। दोबारा वहीं पर तैनात कर दिया जाता है, ताकि दिखता रहे कि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है।
– टीम न्यूज अपडेट यूपी