चंद्रयान 3 – चाँद पर चमत्कार वैज्ञानिक हैरान और परेशान

Chandrayaan: पिछले साल अगस्त महीने में भारत के चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) को तब बड़ी सफलता मिली, जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग हुई थी। दुनियाभर से इसरो की प्रशंसा की गई। इसके बाद जापान ने अपना मून मिशन लॉन्च किया। हालांकि, लैंडिंग मन मुताबिक नहीं हुई, जिसकी वजह से माना जाने लगा कि जापान का चंद्रयान ज्यादा समय तक चांद पर जिंदा नहीं रह सकेगा, लेकिन तीसरी बार उसने चमत्कार कर दिया है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अनुसार, उसका स्नाइपर लैंडर यानी कि जापान का चंद्रयान तीसरी बार जिंदा हो गया है। उसने तस्वीरें भी भेजी हैं। चंद्रमा पर 14 दिनों तक अंधेरा रहता है और तापमान के काफी नीचे चले जाने की वजह से मून मिशन्स के ज्यादा लंबे समय तक चलने की उम्मीद नहीं रहती।

कठोर परिस्थिति के लिए नहीं बना था

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के अनुसार, जापान के मून स्नाइपर लैंडर ने तीसरी बार बाधाओं को पार किया है, और वह ऐसी कठोर परिस्थितियों को सहन करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था। इसके बाद भी वह चंद्रमा की एक लंबी और ठंडी रात में भी जीवित रह गया। नासा के मुताबिक, चांद पर जब रात होती है, तब वहां का तापमान शून्य से 208 डिग्री फ़ारेनहाइट (शून्य से 133 डिग्री सेल्सियस नीचे) तक गिर जाता है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के मून स्नाइपर से एक चंद्र रात को भी झेलने की उम्मीद नहीं थी। जापान के चंद्रयान का रोबोटिक वाहन, जिसे एसएलआईएम या चंद्रमा की जांच के लिए स्मार्ट लैंडर के रूप में भी जाना जाता है, यह पहली बार इस साल 19 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।

चांद पर उतरने वाला पांचवां देश बना था जापान

जब इस साल की शुरुआत में जापान का चंद्रयान चांद पर उतरा था, तब यह दुनिया की पांचवां देश बन गया था, जिसने चंद्रमा पर लैंडिंग की थी। अंतरिक्ष यान शियोली क्रेटर के पास उतरा था, जो चंद्र भूमध्य रेखा के निकट एक क्षेत्र, ट्रैक्विलिटी सागर के लगभग 200 मील (322 किलोमीटर) दक्षिण में स्थित है, जहां अपोलो 11 ने पहली बार इंसानों को चंद्रमा पर उतारा था, लेकिन जैसा कि वैज्ञानिक चाहते थे, उस तरह से सबकुछ नहीं हो सका था। लैंडिंग के दौरान, जापान के अंतरिक्ष यान में एक गड़बड़ी हो गई थी और उसके सौर पैनल सीधे होने के बजाय पश्चिम की ओर थे और उन्हें बिजली उत्पन्न करने के लिए आवश्यक सूर्य का प्रकाश नहीं मिल रहा था।

हर रात के बाद जाग रहा है

जापान का चंद्रयान JAXA का कहना है कि मून स्नाइपर को चांद की रात के समय होने वाले मुश्किल भरे हालात के लिए तैयार नहीं किया गया था। NASA का भी कहना है कि चांद पर रात के समय पार 133 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। अब मून स्नाइपर से उम्मीद नहीं थी कि वो एक रात भी काट सकेगा। खास बात है कि चांद पर रात धरती की तुलना में दो सप्ताह लंबी होती है। इतना ही नहीं स्लिम चांद पर दिन का तापमान भी झेल रहा है, जो NASA के मुताबिक, 121 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है .

इधर, मून स्नाइपर का हर रात के बाद जागना भी जारी है। इस दौरान वह तस्वीरें भेजता और फिर गहरी नींद में चला जाता है। मून स्नाइपर से मिशन टीम ने 23 अप्रैल को संपर्क साधा था। मिशन टीम ने X पर लिखा था, ‘स्लिम ने चांद पर 3 रातों के बाद भी काम करना जारी रखा है, जिसकी डिजाइन में उम्मीद नहीं की थी।’ इससे पहले स्लिम ने 23 मार्च के आसपास धरती से भेजे संदेशों का जवाब दिया था। JAXA के इंजीनियर स्लिम से संपर्क साधने के मामले में काफी सतर्रकता बरत रहे हैं। मिशन टीम स्लिम के जागने के बाद एक दिन का समय लेती है और फिर तस्वीरें भेजने का आदेश देती है। खबर है कि सूर्यास्त होने के बाद मून स्नाइपर 29 अप्रैल को फिर आराम करने चला गया है। अब एजेंसी का कहना है, ‘हम मध्य से मई के अंत के बीच ऑपरेशन फिर शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हम आपके लगातार समर्थन की सराहना करते हैं।’

– टीम न्यूज अपडेट यूपी

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