अम्बरीश कुमार अपने बड़े साले वर्मा जी के घर उनसे मिलने आए थे। अपनी दो दिन की छुट्टी वे वर्मा जी के साथ बिताना चाहते थे। रिक्शे से उतर कर उन्होंने कालबेल बजाई। गेट वर्मा जी ने खोला। वर्मा जी ने उनके पैर छुए और उनसे अन्दर आने के लिए कहा। मगर उनके चेहरे पर कोई खुशी या उल्लास दिखाई नहीं दिया।
अम्बरीश को लेकर वे ड्राइंग रूम में आ गए। वहां उनकी धर्मपत्नी टीवी. पर कोई पिक्चर देख रही थीं। उन्होंने भी उठकर अम्बरीश कुमार के पैर छुए। उनसे एक-दो औपचारिक बातें कीं और फिर वे पिक्चर देखने में तल्लीन हो गईं।
वर्मा जी बोले-“अक्षय कुमार की बड़ी अच्छी फिल्म टी.वी. पर चल रही है आप भी फिल्म का आनन्द लीजिए।“
अम्बरीश कुमार जी मुस्कुराकर रह गए। वर्मा जी ने नौकरानी से चाय-नाश्ता लाने को कहा और इसके बाद वे पिक्चर देखने लगे।
वर्मा जी के दोनों बच्चे दूसरे कमरे में बैठे मोबाइल पर वीडियो देख रहे थे। अनमने भाव से दोनों आए और अपने फूफा जी के पैर छुए। “बुआ जी कैसी हैं फूफा जी ?“ बड़े वाले ने अम्बरीश कुमार जी से पूछा।
“बुआ जी बिल्कुल ठीक हैं और उन्होंने तुम लोगों के लिए यह मिठाई भिजवाई है।“ अम्बरीश कुमार ने बैग में से मिठाई का डिब्बा उन्हें देते हुए कहा। छोटे वाले ने उनसे डिब्बा लेकर डाइनिंग टेबिल पर रख दिया। दोनों ने डिब्बे में से एक-एक पीस निकाला और वापस अपने कमरे में जाकर वीडियो देखने में मस्त हो गए।
थोड़ी देर बाद नौकरानी ने चाय-नाश्ता सेंट्रल टेबिल पर लगा दिया। वर्मा जी ने अम्बरीश कुमार से चाय पीने का आग्रह किया और खुद भी चाय लेकर पीने लगे। चाय का एक कप उठाकर वर्मा जी ने अपनी पत्नी को दे दिया। चाय और नाश्ते के दौरान तीनों के बीच में कुछ औपचारिक बातें भी हुईं मगर पति-पत्नी दोनों का ध्यान टी.वी. स्क्रीन की ओर ही लगा हुआ था।
अम्बरीश कुमार बैठे-बैठे बोर हो रहे थे। पिक्चर खत्म होने में अभी एक-डेढ़ घण्टा बाकी था। उनका मन उचाट हो गया। वे बोले, “अच्छा भाभी जी चलते हैं।“
“अरे, अभी कैसे ? खाना खाकर जाना।“ वर्मा जी की पत्नी बोलीं। वर्मा जी ने भी उनसे कुछ समय और रुकने का आग्रह किया। अम्बरीश कुमार जी ने उनसे फिर कभी आने की बात कही और अपना बैग लेकर स्टेशन की ओर चल दिए। बदलते परिवेश में रिश्तों पर जमती बर्फ से बे चिन्तित से दिखाई दे रहे थे।
सुरेश बाबू मिश्रा
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य