आम तौर पर भारत ने खिचड़ी के दिन सुबह स्नान ध्यान पूजा पाठ करने के उपरांत दही चिऊरा का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं दोपहर में खिचड़ी शाम को पकौड़ी चाय ऐसे खिचड़ी सम्पन्न हो जाती है। मगर बिहार के लोगों का सबसे फेवरेट रेडीमेड फूड लिट्टी चोखा अचार के बाद दही चुरा पसंद है। मगध से लेकर शाहाबाद सारण से लेकर चंपारण तिरहुत से लेकर भागलपुर के बाजीकांचल तक कोसी कछार से लेकर सीमांचल मिथिलांचल तक दही चूड़ा का क्रेज जबरदस्त है सुबह सवेरे बिहार के आदमी को आप खाने में दही चूरा लाल मिर्च का भरवा अचार दे दीजिए तो वह तृप्त हो जाता है। आपको बिहार के हर चौक चौराहे बाजार में दही चुरा की दुकान मिल जाएगी ग्राहक भी स्थाई है सुबह में आपको कहीं निकलना है घर के सदस्य सोए हुए हैं घर में दही है फिर किसी को जगाने की आवश्यकता नहीं है चुरा भिगो या दही डाल चीनी या गुड़ डाल मिर्च का अचार लिया खाकर तृप्त हो गए अगले कुछ घंटे के लिए। बिहार में सबसे उत्तम क्वालिटी की दही कोसी के इलाके में मिलता है कहा जाता है की दही इतनी उत्तम क्वालिटी की होती है जिसे आप गमछा में भी बांध सकते हैं। बड़े चारागाह होने के कारण उसे इलाके में दुधारू पशुओं के दूध में क्रीम की मात्रा ज्यादा होती है। भागलपुर और मोतिहारी के साथ ही साथ शाहाबाद इलाके में कई विशिष्ट प्रकार का चूरा होता है जो आपकी भूख को कई गुना बढ़ा देता है वैसे अब हर जगह यह उपलब्ध है। आज बिहार के ग्रामीण इलाकों में आपके हाथ से ओखल में कूटा हुआ चुरा मिलता है जो थोड़ा सा कड़ा होता है और जल्दी पानी में डालने के बाद फूलता भी नहीं है। बिहार में दही चूड़ा का क्रेज इतना जबरदस्त है कि कोई भी शुभ कार्य दही चुरा के साथ ही शुरू होता है हालांकि मिथिलांचल और अंग प्रदेश में दही चुरा के साथ मछली भी परोसा जाता है जबकि उत्तर बिहार और शाहाबाद के इलाके में मछली के साथ दूध दही का सेवन वर्जित होता है। बिहार के खानपान में दही चूड़ा बेहद फेमस है और लोगों की पसंद भी। स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी यह काफी बेहतर होता है।
– पिंटू सिंह