Newsupdateup:- Dev Uthani Ekadashi 2024: शुभ घड़ी आई… जाग उठे देव, बन रहा विशेष योग; आज से बजेगी शहनाईकार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लंबे समय के बाद योग निद्रा से जागते हैं। इसी दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। बरेली में आज देवउठनी एकादशी की धूम रहेगी। देव के उठने के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। ब्याह-शादी जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ होने पर मंगलवार को फिर से बैंडबाजों और शहनाई की धुन गूंजेगी। सभी होटल और बैंक्वेट हॉल फुल हो गए हैं। कारोबारी कोरोना के बाद पहली बार बेहतर कारोबार की उम्मीद जता रहे हैं।देवउठनी एकादशी पर बन रहा विशेष योग
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष यह एकादशी विशेष योग में 12 नवंबर को है। ज्योतिषाचार्य कृष्ण के शर्मा के अनुसार इस दिन चातुर्मास का समापन होता है और भगवान विष्णु नींद से जागृत होते हैं। इसलिए देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
यह है मान्यता
उन्होंने बताया कि एकादशी पर इस साल रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन योगों को अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। रवि योग सुबह 6:42 से सुबह 7:52 बजे तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:52 बजे से अगले दिन सुबह 5:50 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पावन दिन पर भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ देवी तुलसी की भी पूजा करते हैं। साथ ही व्रत का पालन करते हैं। इस दिन तुलसी विवाह पर्व मनाया जाएगा।
तुलसी चालीसा का करें पाठ
ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर मां तुलसी की विधिवत पूजा करने के साथ उनकी चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करें और मंदिर या गरीब लोगों में अन्न, धन और गर्म वस्त्र का दान करें। श्रीहरि को फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। भोग थाली में तुलसी दल को जरूर शामिल करें। मान्यता है कि तुलसी पत्ते के बिना प्रभु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। सुबह की पूजा-अर्चना करने के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए, इस दिन कीर्तन करना चाहिए।