धरती को दो महीनों के लिए दूसरा चांद मिलेगा नाम होगा मिनी मून लगाएगा धरती का चक्कर
2024 PTS ये हमारे नए चंद्रमा का नाम है. ये छोटू चंद्रमा करीब दो महीने तक धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. यह एक मिनी-मून (Mini-Moon) है. असल में यह एक एस्टेरॉयड है. जो अंतरिक्ष में अपनी लंबी यात्रा पर है. लेकिन धरती के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में एक चक्कर यहां लगाकर तब आगे बढ़ेगा. धरती पर विंडो-शॉपिंग करने आ रहे इस मिनी-मून का डेस्टिनेशन उसकी एस्टेरॉयड बेल्ट है. इस एस्टेरॉयड्स के इस बेल्ट का नाम है अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट. जो धरती और सूरज के बीच मौजूद है. यहां से निकलने के बाद वह सीधे अपने घर जाएगा. यह बेल्ट सूरज से 15 करोड़ किलोमीटर पर है. लगभग उतनी ही दूरी जितनी धरती की सूरज से है.
मैड्रिड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्लोस डेला फ्यूएंटे मार्को ने कहा कि अर्जुन एस्टेरॉयड बेल्ट की दिशा अलग है. इस बेल्ट में मौजूद पत्थर आमतौर पर नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स हैं. इनमें से कुछ पत्थर धरती के बेहद नजदीक चले आते हैं. लगभग 45 लाख किलोमीटर की दूरी तक. इनकी गति 3540 किलोमीटर प्रतिघंटे तक हो सकती है.
दो तरह से आते मिनी-मून धरती के पास
मिनी-मून की घटनाएं दो तरह से होती हैं. पहली ये कि कोई वस्तु आकर धरती की ग्रैविटी में ऐसे फंस जाए कि वह एक दो साल तक निकल ही न पाए. पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता रहे. दूसरा ये कि कम समय के लिए कोई पत्थर आए. धरती का आधा या एक चक्कर लगाकर निकल जाए. ये कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों का हो सकता है.
ये हैं वो मिनी-मून जो पहले भी घूम गए पृथ्वी
अब तक दो बार लंबे समय के लिए दो पत्थर मिनी-मून बने थे. पहला 2006 RH120 और 2020 CD3. इसके अलावा तीन छोटे-छोटे समय के लिए फंसे थे. ये हैं- 1991 VG, 2022 NX1 और इस बार वाला 2024 PTS. दुनियाभर के वैज्ञानिक इस मिनी-मून के आने का इंतजार कर रहे हैं. इसके रास्ते और व्यवहार की स्टडी में लगे हैं. इसे आप साधारण टेलिस्कोप या दूरबीन से नहीं देख सकते. इसे देखने के लिए कम से कम 30 इंच डायमीटर वाला सीसीडी या सीएमओएस डिटेक्टर टेलिस्कोप चाहिए. इस मिनी-मून के बारे में हाल ही में द रिसर्च नोट्स ऑफ द एएएस जर्नल में रिपोर्ट छपी है.
– टीम न्यूज अपडेट यूपी