भारत ने अरब सागर में तैनात किया चीन-पाकिस्तान का ‘बाप’ कैरियर INS विक्रांत

स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत 
शुक्रवार को पश्चिमी बेड़े में शामिल

मुंबई। अरब सागर में पाकिस्तान पहले सिर्फ़ कुछ नॉटिकल मील दूर तक ही ऑपरेट करता था, लेकिन जब चीन ने अपनी नौसेना को नए सिरे से आकार देना शुरू किया, तो वह अपनी मांद से बाहर निकल कर काफी लंबी दूरी तक आने लगा। चीन पहले ही एंटी पायरेसी और हाईड्रोग्राफी के नाम पर हिंद महासागर के रास्ते अरब सागर तक पहुंचने लगा है। इसीलिए समय-समय पर भारतीय नौसेना को भी अपनी ताक़त का एहसास दोनों देशों की नौसेना को दिखाना ही पड़ता है और अब तो भारतीय नौसेना ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन-पाकिस्तान के होश फ़ाख्ता हो गए हैं।

भारतीय नौसेना ने अपने दोनों एयरक्राफ़्ट कैरियर को अरब सागर में तैनात कर दिया है। स्वदेशी एयरक्राफ़्ट कैरियर INS विक्रांत ने वेस्टर्न फ्लीट ‘सोर्ड आर्म’ के कैरियर बैटल ग्रुप INS विक्रमादित्य को ज्वॉइन कर लिया है और मल्टी डोमेन एक्सरसाइज और ट्विन कैरियर फाइटर ऑपरेशन को अंजाम दिया। समुद्र पर कंट्रोल और एरिया डोमिनेशन का ट्रेलर चीन और पाकिस्तान को अरब सागर में दिखाते हुए भारतीय नौसेना के दोनों एयरक्राफ़्ट कैरियर अपने बैटल ग्रुप यानी INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत के साथ तकरीबन 8 से 12 जंगी जहाज और सबमरीन के साथ ब्लू वॉटर में मौजूद रहे।

एक के बाद एक मिग-29K फाइटर जब कैरियर के डेक से उड़ान भर रहे थे, तो अरब सागर में उस वक्त मौजूद चीन और पाकिस्तान के जंगी जहाज़ों को डर का एहसास करा रहे थे। पिछले साल भी दोनों कैरियर बैटल ग्रुप एक साथ सैन्य अभ्यास का हिस्सा बने थे। स्वदेशी एयरक्रफ्ट कैरियर INS विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के बाद से ये इसका दूसरा और बड़ा सैन्य अभ्यास है। एयर क्राफ़्ट कैरियर से मिग 29k फ़ाइटर और सीकिंग, कामोव और हाल ही में अमेरिका से लिए MH-60 रोमियो हैलिकॉप्टर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

सर्वेलांस ड्रोन के ज़रिए इस पूरे अभ्यास को मॉनिटर किया जा रहा था। अभी भारतीय नौसेना के पास डेक बेस्ड फाइटर के नाम पर मिग-29K ही है जो कि दोनों एयरक्रफ्ट कैरियर से फ़िलहाल उड़ान भर रहे हैं, जबकि INS विक्रांत के लिए नए फाइटर एयरक्रफ्ट का रफाल मरीन की डील एडवांस स्टेज पर है।

क्या होता है कैरियर बैटल ग्रुप
एयरक्राफ्ट कैरियर समुद्र पर तैरता एक एयरफील्ड होता है और एयर क्राफ़्ट कैरियर की वजह से ही एयर अटैक करने की क्षमता दोगुनी हो जाती है। यानी की अगर अटैक एयर ऑपरेशन को अंजाम देना हो, तो ज़मीनी एयर बेस से एयरक्राफ्ट को लॉन्च करने के बजाए समुद्र में दुश्मन के इलाक़े के क़रीब एयरक्राफ़्ट कैरियर को पोजिशन करके एयर ऑपरेशन लॉन्च किया जा सकता है।

एयरक्राफ्ट कैरियर कभी अकेले मूव नहीं करता। इसके साथ इस कैरियर तक पहुंचने वाले किसी भी ख़तरे को दूर करने लिए दर्जनों जंगी जहाज़ और सबमरीन मौजूद रहते हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर पर दुश्मन देश की नजर सबसे पहले होती है क्योंकि अगर इसे निशाना बनाया तो नौसेना की कमर टूट जाती है। लिहाजा इसकी सुरक्षा सबसे ज़रूरी है।

भारतीय कैरियर बैटल ग्रुप की बात करें तो एक ग्रुप में डेस्ट्रॉयर और फ्रीगेट, सबमरीन और सपोर्ट शिप की संख्या 8 से 12 होती है। हालांकि, ऑपरेशन के लिहाज से इनकी संख्या को कम ज़्यादा किया जाता है। इसके अलावा मिसाइल बोट या कॉर्वेट, ऑयल टैंकर शिप भी मूव करते हैं। हर जंगी जहाज, फाइटर एयरक्रफ्ट, हैलिकॉप्टर एक-दूसरे से कनेक्ट होते है और हर तरह के टारगेट या खतरे को एंगेज करते हैं। ये सभी एयरक्राफ़्ट कैरियर के 30 से 40 नॉटिकल मील के रेडियस पर अलग-अलग तरह से पोजिशन होते हैं।

– टीम न्यूज अपडेट यूपी

News Update Up
Author: News Update Up

Leave a Comment

READ MORE

READ MORE