बरेली,यूपी। उत्तरप्रदेश जिला बरेली में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों पर संकट मंडराता दिखाई पड़ रहा है। स्कूलों में छात्रों के नामांकन की घटती संख्या के कारण 660 स्कूलों के बंद होने की आशंका है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल प्राथमिक विद्यालयों में दाखिले बढ़ाने के कई प्रयास किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। जिले के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 से भी कम रह गई है, जिससे इन स्कूलों को बंद या अन्य स्कूलों में विलय करने का खतरा मंडरा रहा है। बहेड़ी ब्लॉक के चितोनिया गांव के एक स्कूल में तो केवल एक ही छात्र पढ़ रहा है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
50 से कम छात्रों वाले 660 स्कूल: प्रदेश के डीसी स्कूल शिक्षा के निर्देश पर जिले में ऐसे 660 स्कूल चिह्नित किए गए हैं, जिनमें 50 से कम छात्र पंजीकृत हैं। ऐसे स्कूलों को बंद करके पास के अन्य स्कूलों में समायोजित किया जा सकता है।
शिक्षकों और शिक्षक संघ के नेताओं ने इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षक नेता हरीश बाबू शर्मा ने कहा कि नए प्रवेश 30 सितंबर तक होते हैं, इसलिए 30 जून के आधार पर स्कूल बंद करने का फैसला उचित नहीं है।
बहेड़ी ब्लॉक में सबसे खराब स्थिति
जिले के बहेड़ी ब्लॉक की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। चितोनिया गांव के स्कूल में केवल एक ही बच्चा पंजीकृत है। इसके अलावा, बहेड़ी ब्लॉक के अन्य कई स्कूलों में भी छात्रों की संख्या बेहद कम है।
न्यूनतम नामांकन वाले स्कूलों की सूची
जिले में ऐसे 10 विद्यालय हैं जिनमें छात्र संख्या सिर्फ 1 से 5 के बीच है।उदाहरण के तौर पर, बहेड़ी ब्लॉक के चितोनिया स्कूल में 1, अमखेड़ा स्कूल में 2, और फतेहगंज के जीआईसी अगरास में केवल 2 छात्रों का नामांकन है।शिक्षक संघ की चिंता: शिक्षक संघ के मांडलिक मंत्री केसी पटेल ने कहा कि 50 से कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने का निर्णय गरीबों के लिए शिक्षा को और मुश्किल बना देगा। इस निर्णय की पुनः समीक्षा की जानी चाहिए।
अधिकारियों का पक्ष
जिला विद्यालय निरीक्षक संजय सिंह ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों को बंद करने या समायोजित करने के संबंध में अब तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है। उन्होंने शिक्षकों से अफवाहें न फैलाने की अपील की है।
– टीम न्यूज अपडेट यूपी