मिसेज अग्रवाल के दोनों बच्चे स्कूल चले गए थे। पति ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे। बैग में लन्च बाक्स रखने के बाद मिसेज अग्रवाल पति को यह, हिदायत देना नहीं भूलीं कि लंच टाइम में खाना खा जरूर लेना। पति ने मुस्कराकर मिसेज अग्रवाल की ओर देखा और वे ऑफिस चले गए। उनके जाने के बाद मिसेज अग्रवाल बैड रूम में आकर बैठ गईं। उन्हें चाय की बड़ी तलब लग रही थी मगर आज करवा चैथ थी और उन्होंने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखा था। उन्होंने घड़ी पर नजर डाली ग्यारह बज गए थे मगर चम्पा अभी काम पर नहीं आई थी।
तभी उनका मोबाइल बज उठा। चम्पा का फोन था, वह बोली, “भाभी जी मैं आज एक ही टाइम काम करने आऊँगी।“
“कितने बजे आओगी?“, “मिसेज अग्रवाल ने पूछा, “मैं चार बजे आऊँगी मेम साहब।“
“ठीक है।“ मिसेज अग्रवाल ने कहा। उन्हें चम्पा पर बड़ा गुस्सा आ रहा था। एक तो व्रत और ऊपर से कामवाली के नखरे।
बच्चों के आने में अभी दो घन्टे बाकी थे इसलिए मिसेज अग्रवाल बैड पर लेट कर कोई किताब पढ़ने लगीं। ठीक चार बजे चम्बा आ गई। आज चम्पा बड़ी खुश दिखाई दे रही थी। वह बड़ी फुर्ती से काम कर रही थी।
मिसेज अग्रवाल के मोबाइल की घंटी बज उठी। उनके पति का फोन था-“आज आफिस में एक अजेन्ट मीटिंग है इसलिए मैं घर देर से आ पाऊँगा। तुम समय से अपना व्रत खोल लेना मेरा इन्तजार मत करना।“
यह सुनकर मिसेज अग्रवाल का चेहरा मुरझा गया था। देर रात तक चलने वाली इन अर्जेन्ट मीटिंगों की हकीकत को वे अच्छी तरह से जानती थीं। करवा चैथ के व्रत का उनका उत्साह फीका पड़ गया था। उधर चम्पा काम करने में मशगूल थी, वह कुछ गुनगुनाती जा रही थी। काम खत्म कर जब चम्पा जाने लगी तो मिसेज अग्रवाल बोलीं, क्या बात है चम्पा आज तुम बड़ी खुश नजर आ रही हो ?“
“मेम साहब आज करवा चैथ की वजह से मेरे घर वाले ने अपने कारखाने से छुट्टी ले ली थी। आज सुबह से उसने मुझे घर का कोई काम नहीं करने दिया। फिर वह मुझे लेकर बाजार और मुझे नई साड़ी तथा चूड़ी दिलवाईं। यह कहते-कहते चम्पा का चेहरा खुशी से चमक उठा था। “चम्पा चली गई थी। आज मिसेज अग्रवाल को चम्पा के भाग्य से ईर्ष्या हो रही थी।
साभार – सुरेश बाबू मिश्रा