लखनऊ,यूपी। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वक्फ बोर्ड ने अब ढाई सौ साल पुराने एक शिव मंदिर पर अपना दावा कर डाला है। मंदिर को वक्फ बोर्ड की संपत्ति दिखाया गया है, यह कैसा हुआ और कब हुआ , किसने किया ? जिसे वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है। यह मंदिर भगवान् शिवा का है। जो की लखनऊ के सादतगंज में तक़रीबन ढाई सौ साल से मौजूद है। लेकिन महज आठ साल पहले इस मंदिर को वक्फ ने अपनी प्रोपेर्ट घोषित कर लिया।
मंदिर की भूमि आती है वक्फ के अंदर ऐसा दावा
वक्फ के कागजों में मंदिर की भूमि आती है। अब यह मामला कोर्ट में है और इसका केस चल रहा है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती..ये शिवालय आखिर कैसे वक्फ की संपत्ति हो सकता है…शिवालय के आस-पास रहने वाले लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि एक मंदिर..वक्फ की संपत्ति कैसे हो सकता है.
लखनऊ के सआदतगंज में शिवजी का मंदिर
स्थानीय निवासी लक्ष्मण कह रहे हैं वक्फ कहां से आ गया पता नहीं..लेकिन वक्फ दावा करता है..सही पेपर तो दिखाए..मंदिर की है..ये मंदिर सनातन से जुड़े केंद्र हैं..ये सैंकड़ों साल से शिवालय की जमीन है. लोग कह रहे हैं कि ये मंदिर ढाई सौ वर्षों से इसी जमीन पर है…तो फिर आखिर वक्फ इसपर अपना दावा कैसे कर सकता है..इलाके के मुसलमान भी समझ नहीं पा रहे कि आखिर एक मंदिर को वक्फ बोर्ड अपना क्यों बता रहा है।
भारत का तीसरा सबसे बड़ा लैंड होल्डर नहीं बना है इसी तरह से मंदिरों को…जमीनों को अपने खातों में चढ़ा-चढ़ाकर ही तो वक्फ ने अपनी संपत्ति को बढ़ाया है. लखनऊ के सआदतगंज में शिवजी का मंदिर वक्फ के नाम पर अवैध कब्जे का परफेक्ट उदाहरण है। लेकिन ये हुआ कैसे ये भी आपको समझना चाहिए, और ये हम आपको दस्तावेजों के जरिये समझाएंगे।
राजस्व खातों में खसरा नंबर 1944..शिवालय के नाम दर्ज है। और शिवालय के नाम करीब एक बीघा जमीन है। यानी खसरा नंबर 1944 शिवालय के नाम पर अलॉट है। अब वक्फ बोर्ड का ये दस्तावेज देखिये, ये दस्तावेज वर्ष 2016 का है। जिसमें खसरा नंबर 1944 पर शिवालय होने की बात भी लिखी हुई है।
और इस शिवालय पर वक्फ का हक भी बताया गया है। यानी मंदिर और मंदिर की जमीन , दोनों को वक्फ बोर्ड ने अपनी प्रॉपर्टी बता दिया है।
एक और कागज देखिये..ये दस्तावेज 2013 का है…जिसमें खसरा नंबर 1944 को वक्फ में दर्ज किये जाने को बहुत जरूरी बताया गया है…दरअसल ये सैयद अब्बास अमीर का हलफनामा है…जो मीर वाजिद अली के मुतवल्ली हैं..यानी उनकी प्रॉपर्टी के केयर टेकर हैं..वो इस हलफनामे में वक्फ बोर्ड को कह रहे हैं कि सादत गंज में कई खसरे ऐसे हैं..जिन्हें वक्फ में दर्ज किया जाना चाहिए..और इन खसरों में शिवालय की जमीन भी है.
यानी खसरा नंबर 1944
इसी एफिडेविट में सैयद अब्बास अमीर कहते हैं कि मीर वाजिद अली से सरकार ने कुछ भूमि ली थी..जिसके एवज में सरकार ने मीर वाजिद अली को सआदतगंज में जमीन दे दी थी…और अब इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा वक्फ में दर्ज नहीं है…इसी जमीन में शिवालय की जमीन यानी खसरा नंबर 1944 भी आता है।
यानी खसरा नंबर 1944…जो शिवालय की जमीन है…उसे वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति में शामिल करने के लिए कहा गया..और वक्फ बोर्ड ने दर्ज कर लिया…लेकिन ये तो सिर्फ एक पार्ट है…मंदिर की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने पहले अवैध कब्जा किया..फिर उसे बेच भी दिया..अवैध कॉलोनी भी बसा दी..अब आपको बताते हैं कि ये सब कैसे हुआ
वर्ष 2016 में शिवालय और उसके आसपास की जमीन को अपनी जमीन बता दिया. इसके बाद वक्फ बोर्ड ने जमीन..माफिया मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी को लीज पर दे दी. आरोप है कि अफशां अंसारी ने वक्फ बोर्ड से लीज पर ली जमीन पर प्लाट काटकर बेच दिये।
और ये सब हुआ वर्ष 2013 से 2016 के दौरान…जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी…अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे..और आजम खान पावरफुल मिनिस्टर थे…और माफिया मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. अब ये मामला तब सामने आया..जब शमील शम्सी नाम के व्यक्ति ने इन गड़बडियों की शिकायत की..आपको उनकी बात भी सुननी चाहिए…
अब तो आपको अंदाजा हो गया होगा कि यूपी में वक्फ बोर्ड को पावर सप्लाई का सेंटर कहां-कहां तक फैला हुआ था…वैसे सवाल तो ये भी है कि आखिर एक मंदिर..वक्फ की संपत्ति कैसे हो सकता है..मंदिर की जमीन…वक्फ की जमीन कैसे हो सकती है..क्योंकि वक्फ तो उस संपत्ति को कहते हैं जो एक मुसलमान दान करता है। और कोई मुसलमान..मंदिर तो दान नहीं कर सकता…इन सवालों के जवाब वक्फ बोर्ड के पास नहीं है।
– टीम न्यूज अपडेट यूपी