माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक प्राचीन अभ्यास है, जिसमें वर्तमान क्षण में बिना किसी तनाव, विचार या प्रीजुडिस के ध्यान केंद्रित किया जाता है. नई स्टडी से पता चला है कि इसकी प्रैक्टिस से दिमाग की कोशिकाओं के बीच कम्यूनिकेशन यानी संचार का खास रास्ता तैयार होता है. इससे दर्द कम महसूस होता है. मन को शांति मिलती है. माइंडफुलनेस मेडिटेशन के जरिए जो दिमाग के तंत्र खुलते हैं वो प्लेसीबो प्रभाव से अलग हैं. ये प्लेसीबो इफेक्ट से ज्यादा ताकतवर होते हैं. इसकी प्रैक्टिस से व्यक्ति वर्तमान में जीता है. इससे दिमाग को शांति और स्थिरता मिलती है.इस पर की गई स्टडी हाल ही में बायोलॉजिकल साइकेट्री में प्रकाशित हुई है
स्टडी में बताया गया है कि कई बार स्वस्थ लोग भी कम समय के लिए लेकिन क्रोनिक दर्द से गुजरते हैं. उन्हें इस मेडिटेशन तकनीक से मदद मिल सकती है. यह एक बेहतरीन थैरेपी है. स्टडी करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एनेस्थेसियोलॉजिस्ट फादेल जीदान ने कहा कि करोड़ों लोग हर दिन क्रोनिक दर्द का सामना करते हैं. उन्हें नहीं पता होता कि इस दर्द से राहत कैसे मिले. उसे कम कैसे किया जाए. साथ ही जिंदगी बेहतर बनाई जाए.
फादेल ने कहा कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन सदियों से होती आ रही है. कई बार वैज्ञानिकों ने इस पर सवाल भी उठाए लेकिन मेरी स्टडी में यह बात साबित हो चुकी है कि इससे इंसानों को दर्द से राहत मिलती है. लोगों को लगता है कि उन्हें दर्द के लक्षण में आराम हो रहा है. ये सोचते ही उनका शरीर दर्द से आराम दिलाने लगता है. हर व्यक्ति का दिमाग अलग तरह से काम करता है. लेकिन इस मेडिटेशन तकनीक से हर व्यक्ति का दिमाग दर्द के मामले में एक जैसा काम करता है. आराम मिलने की फ्रिक्वेंसी थोड़ी कम ज्यादा हो सकती है लेकिन राहत मिलती ही है. क्रोनिक पेन से जल्द आराम मिलने लगता है.
– टीम न्यूज अपडेट यूपी