मुरादाबाद,यूपी। यूपी के मुरादाबाद से शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है, 9वीं क्लास के दो छात्रों ने महिला स्कूल टीचर की एआई की मदद से अश्लील तस्वीर बनाई और फिर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। पुलिस आरोपी छात्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। सिविल लाइंस के एक स्कूल की शिक्षिका के अश्लील फोटो बनाकर वायरल करने के पीछे की वजह शिक्षिका द्वारा बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए की जाने वाली टोकाटाकी रही। स्कूल द्वारा गठित समिति की अब तक की जांच में सामने आया है कि शिक्षिका द्वारा गलतियों पर टोके जाने से नाराज होकर छात्रों ने इस घटना को अंजाम दिया।
स्कूल प्रशासन ने बताया कि शिक्षिका बच्चों की पढ़ाई के प्रति बहुत गंभीर और समर्पित हैं। उन्हें फिक्र रहती है कि बच्चे स्कूल आकर इधर-उधर की बातों के बजाय पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें। वह बार-बार छात्रों को नसीहत देती थीं और बच्चों के व्यवहार को लेकर चौकन्ना रहती हैं।
यदि कोई बच्चा पढ़ाई में बेहतर नहीं कर पाता था तो वह बच्चे के अलावा अभिभावकों से भी इसकी चर्चा करती हैं। घटना के बाद जब बच्चों से स्कूल में पूछताछ की गई तो उन्होंने बिना झिझके कहा कि मैम हर छोटी बात पर टोकती थीं, इसलिए उनके अश्लील फोटो बना दिए।
सामूहिक जिम्मेदारी से बच्चों को सही रास्ता दिखाएं
मनोरोग विशेषज्ञ डाॅ. अनंत राणा का कहना है कि अभिभावक स्वयं फोन में व्यस्त रहते हैं। इसलिए बच्चे भी फोन के आदी हो गए हैं। बच्चों द्वारा फोन का इस्तेमाल किए जाने के बाद अभिभावक उसे चेक नहीं करते हैं। आजकल के बच्चों को सबकुछ पता है, क्योंकि इंटरनेट पर सब उपलब्ध है, लेकिन वह अच्छे और बुरे में फर्क करना नहीं समझ पा रहे हैं। इस घटना में अभिभावक, शिक्षक, समाज, सरकार सभी जिम्मेदार हैं। सभी को अपनी-अपनी भूमिका पर गंभीरता से सोचना होगा। दोषारोपण करने के बजाय आपसी सामंजस्य से बच्चों को भटकने से रोकना होगा। स्कूलों में अकेडमिक्स के बजाय एक्स्ट्रा कैरिकुलम पर ध्यान केंद्रित करना होगा। तभी बच्चे अपना सफल जीवन जी पाएंगे।
मनोविश्लेषक डाॅ. मीनू मेहरोत्रा ने कहा कि इस घटना के पीछे अभिभावकों की अनदेखी व संवादहीनता है। अभिभावक शिक्षकों से नंबरों और परिणाम पर बात करते हैं, लेकिन नैतिकता पर बात नहीं होती। परिवारों में बुजुर्गों का साथ न होना बच्चों को अहंकारी और निरंकुश बना देता है। ऐसे में जब कोई उनकी गलतियों के लिए डांटता है तो वह सुधरने के बजाय उस व्यक्ति को ही नुकसान पहुंचाने के तरीके ढूंढते हैं। हर समय फोन में व्यस्त रहने की वजह से उनके आसपास संस्कारविहीन समाज हो गया है। बच्चों पर समाज, स्कूल और माता-पिता को निगरानी रखना जरूरी है। हर शनिवार को बाल सभाएं होनी चाहिए, ताकि नैतिक शिक्षा की जानकारी बच्चों को हो सके।
– टीम न्यूज अपडेट यूपी