प्रताप सिंह बारहठ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रान्तिवीर थे । बे प्रखर क्रान्तिकारी केसरी सिंह बारहठ के पुत्र थे। इनकी माता का नाम माणिक्य कंवर था। बीकानेर रियासत ने इनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। इन्हें बनारस षडयंत्र मुकदमे में गिरफ्तार किया गया था। बरेली झेल में पुलिस प्रताड़ना में शहीद हो गए थे। अंग्रेज अधिकारी चार्ल्स क्लीवलैंड ने प्रताप सिंह की बहादुरी की प्रशंसा की थी। उनका जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा के पास देवपुरा गाव में २४ मई १८९३ में हुआ था। वे क्रान्तिवीर ठा. केसरी सिंह बारहठ के पुत्र थे। प्रारंभिक शिक्षा कोटा, अजमेर और जयपुर में हुई। क्रांतिकारी मास्टर अमीरचंद से प्रेरणा लेकर देश को स्वतंत्र करवाने में जुट गए। वे रासबिहारी बोस का अनुसरण करते हुए क्रांतिकारी आन्दोलन में सम्मिलित हुए। रास सिंह बिहारी बोस का प्रताप पर बहुत विश्वास था। २३ दिसम्बर १९१२ को लॉर्ड हर्डिंग्स पर बम फेंकने की योजना में वे भी सम्मिलित थे। उन्हें बनारस काण्ड के सन्दर्भ में गिरफ्तार किया गया और सन् १९१६ में ५ वर्ष के सश्रम कारावास की सजा हुई। बरेली के केंद्रीय कारागार में उन्हें अमानवीय यातनाएँ दी गयीं ताकि अपने सहयोगियों का नाम उनसे पता किया जा सके किन्तु उन्होने किसी का नाम नहीं लिया। बरेली जेल में चार्ल्स क्लीवलैंड ने इन्हें घोर यातनाएं दी ओर कहा – “तुम्हारी माँ रोती है ” तो इस वीर ने जबाब दिया – ” में अपनी माँ को चुप कराने के लिए हजारों माँओं को नहीं रुला सकता। ” और किसी भी साथी का नाम नहीं बताया। प्रताप सिंह बारहठ प्रखर क्रांतिकारी थे । बे मात्र पच्चीस बर्ष जीवित रहे मगर इस बीच उन्होंने ब्रिटिश सरकार की चूलों को हिलाकर रख दिया ।रास बिहारी बोस से प्रेरणा लेकर बे पन्द्रह बर्ष की किशोर अबस्था मे बे आजादी की पथरीली राहों पर चल पड़े थे। अंग्रेजों ने देहली को अपनी राजधानी बनाया ।प्रताप सिंह बारहठ, जोरावर सिंह और दो अन्य क्रांतिकारियों को लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने का काम सौंपा गया। रास बिहारी बोस इस योजना के सूत्रधार थे ।देहली मे लार्ड हार्डिंग के स्वागत मे भव्य जुलूस निकाला जा रहा था । लार्ड हार्डिंग हाथी पर बैठा था। क्रांतिकारियों ने बम फेंक दिया । बम भारी धमाके के साथ फटा ।लार्ड हार्डिंग बुरी तरह से घायल हो गया । दिन दहाड़े हुई बम विस्फोट की इस घटना से अंग्रेज शासकों मे हडकंप मच गया ।पूरे देश मे क्रान्तिकारियों की धरपकड तेज हो गई ।प्रताप सिंह बारहठ को गिरफ्तार कर बरेली सेंट्रल जेल मे रखा गया । जेल मे उन्हे कठोर यातनाएं दी गई। 24 मई 1918 को आजादी की आस मन मे लिए हुए बे मातृ भूमि के लिए बलिदान हो गये। बरेली में राजेन्द्र नगर के ए- ब्लाॅक में स्थित एक पार्क का नाम शहीद प्रताप सिंह बारहठ पार्क रखा गया है । इसमें प्रताप सिंह बारहठ की आदमकद प्रतिमा स्थापित है जो यहां आने बालों को शहीद प्रताप सिंह बारहठ के बलिदानों की स्मृतियों को ताजा करती है ।
सुरेश बाबू मिश्रा
साहित्य भूषण, बरेली