लघुकथा : डिलीट एकाउन्ट्स

राजेश कुमार एक निजी अस्पताल में बैड पर लेटे हुए थे। एक एक्सीडेन्ट में उनके दोनों पैरों में कई जगह फ्रेक्चर हुए थे। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उनके पैरों में रॉड डाल दी थी। राजेश कुमार ने बैड पर रखे अपने मोबाइल को उठाया और फेसबुक तथा व्हाट्सअप पर पड़ी पोस्ट देखने लगे। फेसबुक पर उनके तीन हजार से ज्यादा फ्रैन्ड थे। व्हाट्सअप पर भी वे चार दर्जन से अधिक ग्रुपों से जुड़े हुए थे। इसके अलावा उनके सैकड़ों लोग उनकी पोस्ट को लाइक करते और सैकड़ों उस पर कमंेट करते थे। उन्हें इस बात पर बड़ा गर्व था कि उनका फ्रैन्ड सर्किल इतना बड़ा है और उनके हजारों वैलविशर हैं।
वे रोज कई-कई घण्टे मोबाइल चलाने में लगे रहते। इसके चलते वे अपने सम्बन्धियों और पुराने मित्रों से धीरे-धीरे दूर होते जा रहे थे। अपने मोबाइल प्रेम के कारण वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ भी अधिक समय नहीं बिता पाते थे। जब उनकी पत्नी उनसे मोबाइल पर अधिक समय बिताने से मना करती तो वे नाराज हो जाते और उन्हें अपने मित्रों से मिलने मैसेज और लाइक की इम्पोर्टेन्स समझाते। वे तर्क देते कि यह माडर्न टेक्नोलॉजी है और यदि हम इसे इम्पोर्टेन्स नहीं देते तो हम मॉडर्न सोसाइटी से कट जायेंगे। उनकी पत्नी बेचारी चुप हो जातीं।
राजेश कुमार पिछले तीन दिनों से अस्पताल में एडमिट थे। इन तीन दिनों में उनका कोई भी फेसबुक या व्हाट्सएप फ्रेंड उनका हालचाल जानने वहां नहीं आया था। उनकी पत्नी और दोनों बच्चे ही रात-दिन उनकी देखभाल में लगे रहे। उन्होंने अपने मोबाइल पर पिछले तीन दिनों की अपडेट देखीं। उनके बेटे ने उनकी एक्सीडेन्ट वाली फोटो उनकी फेसबुक और व्हाट्सअप पर पोस्ट की थी मगर चार-छः लोगों के अलावा किसी ने ‘मे गेट वैल सून’ का मैसेज भेजने की जहमत भी नहीं उठाई थी। मजे की बात यह थी कि सैकड़ों लोगों ने तो बिना कुछ सोचे-समझे उनके एक्सीडेन्ट वाले फोटो को फेसबुक और व्हाट्सअप की दुनिया से वितृष्णा सी होने लगी।
तभी उनकी पत्नी जूस का गिलास लेकर उनके पास आईं। वे बोले, “दो मिनट रुको अभी पीता हूँ।“ यह कह कर उन्होंने अपने मोबाइल से सारे फेसबुक और व्हाट्सएप एकाउन्ट्स डिलीट कर दिए। यह देखकर उनकी पत्नी मुस्कराई। पत्नी को मुस्कराता देख उनकी तल्खी कुछ कम हुई और उनके मन को थोड़ा सुकून मिला।

साभार – सुरेश बाबू मिश्रा
साहित्यभूषण

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Author: News Update Up

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