लघुकथा : जीत का सेहरा

नगर पालिका के चेयरमैन के लिए मतदान चल रहा था। सत्तापक्ष और विपक्ष के प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर थी। इस बार सत्ता पक्ष की लहर थी, मगर विपक्ष के प्रत्याशी कस्बे के दो बार चेयरमैन रह चुके थे और राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी थे इसलिए ऊंट किस करबट बैठेगा कहिना कठिन था। दोनों पक्षों के समर्थक मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक लाने के लिए जी जान से जुटे हुए थे। मतदान शुरू हुए चार घन्टे बीत चुके थे। अचानक एक मतदान केन्द्र पर बवाल हो गया। सत्तापक्ष का एक मतदाता मतदान करने आया तो पता चला कि उसका वोट कोई पहले ही डाल गया था। इसी बात को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के समर्थकों के बीच कहासुनी होने लगी। धीरे-धीरे कहासुनी गाली गलौज में बदल गई। नौवत हाथापाई तक जा पहुंची। मौजूदा पुलिस बल ने दोनों पक्षों को मतदान केन्द्र के बाहर खदेड़ दिया। सत्तापक्ष के लोग बूथ से थोड़ी दूर पर गली में खड़े हो गए। धीरे-धीरे वहां संख्या बढ़ती गई। वायरलैस पर सूचना पाकर कस्बे के सी.ओ. भी वहां पहुंच गए। उन्होंने भीड़ से वहां से हट जाने की अपील की। मगर सत्ता की हनक में वे लोग वहां से नहीं हटे। इस पर सी.ओ. साहब के इशारे पर मौजूदा पुलिस वालों ने वहां जमा सत्तापक्ष के लोगों पर लाठियां भांजना शुरू कर दीं। जंगल की आग की तरह सत्ता पक्ष के लोगों पर लाठीचार्ज की खबर पूरे कस्बे में फैल गई। सत्तापक्ष के प्रत्याशी, नेताओं और समर्थकों ने आनन-फानन में थाना घेर लिया। उत्तेजित समर्थक  नारेबाजी कर रहे थे और सी.ओ. को सस्पेण्ड करने की मांग कर रहे थे। स्थिति से जिला अधिकारी और एस.एस.पी. को भी अवगत करा दिया गया। कुछ ही देर में जिले से आला अधिकारी थाने पहुंच गए। डी.एम. और एस.पी. की मौजूदगी में भी एक-डेढ़ घन्टे तक हंगामा चलता रहा। बाद में जिले के अधिकारियों ने किसी तरह सत्तापक्ष के लोगों और स्थानीय पुलिस अधिकारियों के बीच समझौता करा दिया। मतदान समाप्त होने तक डी.एम. और एस.पी. वहीं डेरा डाले रहे। मतदान समाप्त होने के बाद शाम के झुटपुटे में विपक्ष के प्रत्याशी सी.ओ. के बंगले पर पहुंचे। सी.ओ. साहब ने उनका स्वागत किया। प्रत्याशी बोले-“आपने जो योजना बनाई थी, वह पूरी तरह कामयाब रही।“ सी.ओ. साहब जोर से हंसे और बोले, “योजना तो आपकी थी, हमने तो केवल उस पर अमल किया। पिछली सरकार में आपने हमारी जो इतनी बड़ी मदद की थी उसका अहसान तो चुकाना ही था। मेरी जानकारी के अनुसार डेढ़-दो घण्टे तक सत्तापक्ष के समर्थक मतदान केन्द्रों को छोड़कर थाने पर डटे रहे और इस बीच आपके पक्ष में जो फर्जी मतदान हुआ है उससे जीत का सेहरा एक बार फिर आपके सिर ही बंधेगा।“ यह कहकर सी.ओ. साहब ने जोर का ‘ठहाका लगाया था। इस बार उनकी हंसी में विपक्ष के प्रत्याशी की हंसी का स्वर भी शामिल हो गया था।

सुरेश बाबू मिश्रा
वरिष्ठ साहित्यकार

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