लघुकथा : बन्दर बांट

सीनियर आई.ए.एस अफसर वर्मा मुख्य सचिव के निर्देश पर एक सामाजिक संस्था द्वारा विकासखण्ड में लगाए गए एक हजार हैण्डपम्पों की जांच करने यहां आये थे। क्षेत्र के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की थी कि संस्था द्वारा हैण्डपम्प लगाने के नाम पर भारी फर्जीबाड़ा किया है, मगर मिस्टर वर्मा कई गाँवों में लगे हैण्डपम्पों का स्थलीय निरीक्षण कर चुके थे और उन्हें जांच में हैण्डपम्प चालू हालात में लगे मिले थे।
वे एक गाँव में निरीक्षण कर रहे थे कि अचानक भीड़ में से निकलकर एक आदमी उनके बिल्कुल सामने आकर खड़ा हो गया। वह शायद मिस्टर वर्मा से कुछ कहना चाहता था।
“क्या बात है ?“ वर्मा जी ने उसकी ओर देखते हुए पूछा।
“सर। यह जो हैण्डपम्प आप देख रहे हैं वे जांच की खबर सुनकर फर्जी तरीके से आपको दिखाने के लिए लगाए गये हैं।“ वह आदमी फुसफुसा कर बोला।
“मैं कुछ समझा नहीं। तुम्हें जो कुछ कहना है साफ-साफ कहो।“ जांच अधिकारी वर्मा ने उससे कहा।
सर! संस्था ने पांच दिन के लिए यह हैण्डपम्प किराए पर लिए हैं और रातों-रात यह एक हजार हैण्डपम्प पूरे विकासखंड में लगवाये गये हैं। आपके जाने के बाद यह हैण्डपम्प उखाड़कर वापस कर दिए जायेंगे।“ वह आदमी गम्भीर स्वर में बोला।
“मगर एक हजार हैण्डपम्पों का एक या दो दिन में बोरिंग करवाकर लगवाना कैसे सम्भव हो सकता है ?“ जाँच अधिकारी वर्मा ने सख्त स्वर में कहा।
“बोरिंग हुआ ही नहीं है साहब। इन सब हैण्डपम्पों के नीचे एक-एक ड्रम में पानी भरवाकर जमीन के नीचे गड़वा दिया गया है ?“ वह आदमी राजभरे स्वर में बोला।
“क्या ?“ वर्मा जी को शायद उसकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
मैं सही कह रहा हूँ साहब। आप जिस हैण्डपम्प को चाहें उखड़वाकर देख सकते हैं।“ वह दृढ़तापूर्वक बोला।
जांच अधिकारी वर्मा कुछ देर असमंजस में बैठे रहे फिर उन्होंने उस विकासखण्ड के बी.डी.ओ. को एक हैण्डपम्प उखाड़ने का आदेश दिया।
यह सुनते ही बी.डी.ओ. का चेहरा फक पड़ गया। वह बहानेवाजी करने लगा मगर मिस्टर वर्मा द्वारा सख्ती बरतने पर उसने लेबर बुलाकर एक हैण्डपम्प उखड़वाया। उसके नीचे वास्तव में ड्रम में पानी भरा रखा था। समाज सेवा के नाम पर लोकल सिस्टम की मिली भगत से सरकारी धन के बंदर बांट का यह नायाब तरीका देखकर जांच अधिकारी वर्मा दंग रह गये थे।

साभार – सुरेश बाबू मिश्रा
वरिष्ठ साहित्यकार

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