Update news up Bareilly :- खबर उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत से है जहां पर अपने ही बेटे और बेटी ने अपनी मां का साथ छोड़ दिया और वृद्ध आश्रम में पहुंचा दिया अपने हुए पराये: बेटा करोड़पति… वृद्ध आश्रम में सिसक रही मां, भावुक कर देगी ऐसे बुजुर्गों की कहानी
बरेली के बुखारा मोड़ पर समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित वृद्ध आश्रम में कई बुजुर्ग ऐसे हैं, जिन्हें उनके बेटों ने अपने साथ रखने से इनकार कर दिया। इनमें एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि उनका बेटा करोड़पति हैं, लेकिन पति की मौत के बाद उन्हें घर में रखने से इनकार कर दिया।
पितृ पक्ष में लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि करते हैं। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने जीवित माता-पिता से मुंह मोड़ लिया है। बरेली के बुखारा मोड़ पर समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित वृद्ध आश्रम में मिली महिला ने बताया कि उनका बेटा करोड़पति है, लेकिन मां को रखने के लिए उसके घर में जगह नहीं है। इसीलिए वह वृद्ध आश्रम में रह रही हैं
मूलरूप से शहर के एक मोहल्ले की रहने वाली महिला ने बताया कि उनकी एक बेटी और एक बेटा है। दोनों की शादी हो चुकी है। बेटी का पति सरकारी कर्मचारी है। बेटा एक कस्बे में किराने के सामानों का थोक व्यापारी है।
पितृ पक्ष में लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि करते हैं। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने जीवित माता-पिता से मुंह मोड़ लिया है। बरेली के बुखारा मोड़ पर समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित वृद्ध आश्रम में मिली महिला ने बताया कि उनका बेटा करोड़पति है, लेकिन मां को रखने के लिए उसके घर में जगह नहीं है। इसीलिए वह वृद्ध आश्रम में रह रही हैं।
मूलरूप से शहर के एक मोहल्ले की रहने वाली महिला ने बताया कि उनकी एक बेटी और एक बेटा है। दोनों की शादी हो चुकी है। बेटी का पति सरकारी कर्मचारी है। बेटा एक कस्बे में किराने के सामानों का थोक व्यापारी है।
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पति की मौत के बाद वह शहर में बेटी के साथ रह रही थीं। चार माह पहले बेटी ने उन्हें रखने से इन्कार कर दिया तो वह बेटे के पास पहुंचीं तो उसने घर में जगह न होने का हवाला देते हुए उन्हें रखने से इन्कार कर दिया। इस पर वह वृद्ध आश्रम में आकर रहने लगीं। इतनी बातें कहते-कहते उनकी आंखें नम हो गईं।
वृद्ध आश्रम में छोड़ गया बेटा
शाहजहांपुर निवासी वृद्ध अपनों के होते हुए भी बेघर हैं। उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार शाहजहांपुर में ही रह रहा है। उनके तीन बेटे थे। सबसे छोटे बेटे की मौत हो चुकी है। कोरोना महामारी के दौरान मझला बेटा उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ गया था।
कुछ दिनों तक वह उनसे मिलने आता रहा, बाद में उसकी भी मौत हो गई। उसके बाद उन्हें देखने कोई नहीं आया। अब वह भी उन्हें भूल चुके हैं। अब उन्हें यह भी नहीं पता है कि उनके परिजन किस हाल में हैं और क्या कर रहे हैं?
वृद्धाश्रम के प्रबंधक कांता गंगवार ने बताया कि आश्रम में इस समय 128 वृद्ध रह रहे हैं। इनमें 74 पुरुष और 54 महिलाएं हैं। अब कोई यहां से जाना नहीं चाहता, लेकिन शर्म की बात यह है कि जिन बच्चों को पाल-पोषकर बड़ा किया, वहीं बच्चे बुढ़ापे में उनको छोड़ गए।
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