मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर, दोनों की व्यावसायिक गतिविधियों (business activity) में मंदी ने सितंबर में भारत की निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के विस्तार को धीमा कर दिया। यह जानकारी सोमवार को HSBC द्वारा किए गए एक सर्वे से सामने आई है।
ग्लोबल बैंकर द्वारा किए गए इस सर्वे के मुताबिक, फ्लैश कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सितंबर में घटकर 59.3 हो गया, जो 2024 में सबसे कम है, जबकि अगस्त में यह 60.7 था।
हालांकि देश की मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के संयुक्त उत्पादन में मासिक आधार पर होने वाले परिवर्तन को मापने वाला यह इंडेक्स लगातार 38वें महीने 50 के न्यूट्रल मार्क से ऊपर रहा। PMI की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है।
सितंबर में धीमी ग्रोथ के बावजूद प्राइवेट सेक्टर में रोजगार और हायरिंग में तेजी
इस सर्वे के मुताबिक, सितंबर के दौरान भारत में प्राइवेट सेक्टर में लगातार मजबूत ग्रोथ के संकेत मिले, हालांकि मैन्युफैक्चरिंग और नए ऑर्डर 2024 में अब तक की सबसे धीमी दर से बढ़े। इस बीच, बिजनेस एक्टिविटी को लेकर पॉजिटिव सेंटीमेंट के कारण रोजगार भी मजबूती के साथ बढ़ता रहा।
HSBC के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा, “सितंबर में भारत का फ्लैश कंपोजिट PMI थोड़ी धीमी गति से बढ़ा, जो 2024 में देखी गई सबसे धीमी वृद्धि है, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस, दोनों ही सेक्टरों में समान रुझान देखे गए।” उन्होंने कहा, “फिर भी, ग्रोथ रेट लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ऊपर रही। सितंबर में नए ऑर्डर में मामूली गिरावट आई, लेकिन बेहतर व्यावसायिक विश्वास के कारण हायरिंग स्तर तेजी से बढ़े। वास्तव में, नए ऑर्डरों में मजबूत वृद्धि से कंपनियों में उत्साह देखा गया, जिसके परिणामस्वरुप सर्विस सेक्टर में रोजगार में वृद्धि अगस्त 2022 के बाद से सबसे तेज रही।”
सितंबर में इनपुट लागत में मामूली बढ़ोतरी, लेकिन आउटपुट कीमतों की धीमी वृद्धि से मुनाफे पर दबाव
कीमत के मोर्चे पर, इनपुट और आउटपुट लागत, दोनों की मुद्रास्फीति की दरें अपेक्षाकृत नरम रहीं, क्योंकि सर्विस प्रोवाइडरों ने पिछले ढाई वर्षों में सबसे धीमी गति से अपने शुल्क बढ़ाए। सर्वे में इस बात का उल्लेख किया गया है कि सितंबर में भारत के प्राइवेट सेक्टर में इनपुट लागत में वृद्धि ज्यादातर मामूली रही, हालांकि यह अगस्त की तुलना में थोड़ी ज्यादा थी। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस, दोनों ही सेक्टरों में लागत में थोड़ी वृद्धि देखी गई। कंपनियों ने कहा कि इन बढ़ी हुई लागतों का मुख्य कारण कच्चे माल और बिजली की बढ़ती कीमतें थीं।”
भंडारी ने कहा, “कीमतों के मामले में, सितंबर में इनपुट लागत थोड़ी तेजी से बढ़ी। हालांकि, दोनों सेक्टरों में आउटपुट कीमतों में वृद्धि की दर धीमी हो गई, और निर्माताओं को बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा, जो उनके मुनाफे में अधिक कमी का संकेत देता है।”
सितंबर में सर्विस सेक्टर में रोजगार में तेजी, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियों की वृद्धि धीमी
रोजगार के मोर्चे पर, सर्वे में कहा गया कि मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए कंपनियों ने स्टाफिंग स्तरों में मजबूत विस्तार किया, जिससे नौकरी सृजन की दर अगस्त के मुकाबले बढ़ी और सीरीज औसत से ऊपर रही।
सर्वे में कहा गया है, “सर्विस सेक्टर में रोजगार में वृद्धि अगस्त 2022 के बाद से सबसे तेज थी क्योंकि कंपनियों ने नए ऑर्डरों में वृद्धि को देखते हुए अपने वर्कफोर्स में इजाफा किया। इस बीच, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियों की वृद्धि की गति कम हो गई। अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करने के साथ-साथ, भारतीय निर्माताओं ने सितंबर के दौरान अपनी क्रय गतिविधि का भी विस्तार किया। इससे इनपुट के स्टॉक में और उल्लेखनीय वृद्धि का समर्थन करने में मदद मिली क्योंकि आपूर्तिकर्ताओं ने समय पर सामान वितरित करना जारी रखा।”
फ्लैश PMI हर महीने सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों द्वारा प्राप्त कुल 800 परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं का 75-85 प्रतिशत रिकॉर्ड करता है।
सितंबर के लिए अंतिम मैन्युफैक्चरिंग PMI 1 अक्टूबर को जारी किया जाएगा और इसके 56.5 पर रहने का अनुमान है। सर्विसेज और कम्पोजिट PMI 4 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
– टीम न्यूज अपडेट यूपी