महात्मा गांधी की जयंती पर आज जानिए गाँधी जी को किसने दी थी “महात्मा” और “बापू “की उपाधि

Mahatma Gandhi 2024: प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले अहिंसा के समर्थक महात्मा गाँधी की जयंती प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। गांधीजी का जन्मदिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अहिंसा के अग्रदूत के रूप में मनाया जाता है। अहिंसक आंदोलनों को बढ़ावा देने में गांधीजी के महत्वपूर्ण प्रभाव के कारण इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।

गाँधीजी का जन्म पोरबंदर गुजरात में एक हिन्दू परिवार के यहाँ हुआ हुआ था, लेकिन उनका पले-बढ़े व लन्दन के इनर टेम्पल में और वह से लॉ की पढाई पूरी की। गांधीजी को 22 वर्ष की आयु में जून 1891 में बार में बुलाया गया। वह 1893 में एक भारतीय का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। भारत में दो अनिश्चित वर्षों के बाद एक मुकदमे में व्यापारी, जहां वह एक सफल कानून अभ्यास स्थापित करने में असमर्थ था। जिसके बाद में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताए। यहीं पर गांधी ने एक परिवार का पालन-पोषण किया और पहली बार नागरिक अधिकारों के अभियान में अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया। 1915 में 45 वर्ष की आयु में वो भारत लौट आए और अत्यधिक भूमि कराधान और भेदभाव के विरोध में तुरंत किसानों और शहरी मजदूरों को संगठित करना शुरू कर दिया था।

रविंद्र नाथ टैगोर ने दी “महात्मा” की उपाधि
बंगाली कवि, लेखक और संगीतकार रवींद्रनाथ टैगोर ने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि दी थी। टैगोर ने 1915 में गांधी को लिखे एक पत्र में इस उपाधि का इस्तेमाल करते हुए लिखा था, “जिसे भारत के लाखों लोग महात्मा कहते हैं – उसे मेरी कृतज्ञतापूर्ण श्रद्धांजलि”।

नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने दी “बापू “की उपाधि
महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम महात्मा की उपाधि नेता जी सुभास चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को दी थी जब जब गाँधी जी की पत्नी का स्वर्गवास हुआ था। जब गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का निधन हुआ था तब यह शीर्षक उन्हें मिला था। “बापू” का अर्थ “पिता” होता है। गांधीजी को “महात्मा” और “राष्ट्रपिता” की उपाधि मिली थी।

गांधी जी कैसे बने राष्ट्रपिता
गाँधी जी और सुभाष चंद्र बोस के बीच कई वैचारिक मतभेद थे लेकिन इसके बाबजूद भी सुभाष चंद्र बोस उनका हमेशा आदर पूर्वक सम्मान किया। सर्वप्रथम नेता जी ने ही गाँधी जी को महात्मा कह कर पुकारा था। सुभाष चंद्र बोस ने ही 6 जुलाई 1944 को रंगून के एक रेडियो स्टेशन में अपने भाषण के दौरान गाँधी जी को महात्मा कह कर बुलाया था। सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैं आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना करता हूं।

– टीम न्यूज अपडेट यूपी

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