आदिवासियों ने की कर्मा पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमआदिवासी उत्थान कल्याण समिति के तत्वाधान राज्य कर्ता पूजा भादो एकादशी के दिन मनाया जाता है यह जानकारी देते हुए समिति के सचिव धनेश्वर ने बताया एकादशी से पूर्व तीन दिन पहले तीन कुंवारी लड़कियां उपवास रखती हैं और जावा हेतु धान ,गेहूं चना,मटर, मकई और सरसों को मिश्रित करते हैं और कर्मा के दिन तीन कुंवारे लड़के डाल लाते है जावा , अच्छी फसल की कामना करते है । जिसमें राजी कर्मा, इंद्र कर्मा, जितिया कर्मा , दशहरा कर्मा सोहेराई कर्मा है जो सत्य का प्रतीक है उन्होंने बताया कि हम आदिवासी प्रकृति से बड़ा प्रेम करते हैं आदिवासियों में साल के वृक्ष फल फूल और पत्तियों को पूजने की परंपरा रही है हरी नई कोई फसल आती हैं उसकी पहले पूजा करते हैं।
उन्होंने बताया कि आज कर्मा का पूजन का बड़ा महत्व है सुबह से ही पूजा का सिलसिला जारी रहा उसके बाद आदिवासी महिलाओं एक से वस्त्र पहनकर सांस्कृतिक कार्यक्रम किए।
कहा की पहाड़ों में रहकर बंजर भूमि को उपजाऊ किया है। मुगल कालीन शासन काल में आदिवासियों का अपना स्वतंत्र राज था, संथालो के शासन की राजधानी चाय चंपागढ़, मुंडाओं का शासन सीतियाम्बे , रांची और उरावो का शासन रोहतासगढ़ से संचालित था औरंगजेब रोहतास गढ़पर कब्जा करना चाहता था उसने तीन बार रोहतास गढ़ पर हमला किया चौथी बार योजना बद्ध तरीके से काबिज हो गया। उन्होंने बताया कि आदिवासी लोग कभी पेड़ो को नहीं काटते उसकी पूजा करते हैं उसका सम्मान करते हैं यही हमारे कर्मा वृक्ष की नैतिकता का परिचय है आदिवासी समाज के लोग प्रत्येक घर में एक वृक्ष जरुर लगाते है यही उनके कर्मा का उद्देश्य है। कार्यक्रम में बेलस खल्खो, अमोन लकड़ा , अंकुर, भद्र गुप्त , धनेश्वर , अर्जुन भगत , बिलचन एक्का , विवेक आनंद , राम विलास , आर्य ,एरियर कांडूलना , वुधेश्वर भगत , सोमे सिंह , बसंत लाल , विनोद कुमार , संदीप उरांव,नेहरू भगत आदि मौजूद रहे।