गोरखपुर,यूपी। इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आइसीएचआर) के सदस्य और पद्मश्री डॉ. केके मोहम्मद ने कहा कि जो भी ऐतिहासिक विकास गुजरी हुई सदियों में हुआ, मुसलमानों को उससे सबक लेकर मथुरा और ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान को खुद ही हिंदुओं को उपहार की तरह सौंप देना चाहिए। उनकी जो पवित्र इमारत है, उसे कहीं अन्य उपयुक्त स्थल पर स्थानांतरित करने के लिए मुसलमानों को आगे आना चाहिए। इससे सरकार एवं सर्व समाज से भी सहयोग मिल सकेगा। इस स्थानांतरण की प्रक्रिया में पवित्रता एवं सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
पद्मश्री डॉ. केके मोहम्मद बृहस्पतिवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन संवाद भवन में विशिष्ट व्याख्यान सत्र को संबोधित कर रहे थे। डॉ. मोहम्मद ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एवं जेएनयू के मार्क्सवादी इतिहासकारों ने अयोध्या साइट से उत्खनन में प्राप्त अध्ययन सामग्री को लेकर मिथ्या प्रचार किया। वे न तो पुरातत्वविद् हैं और न ही वह पुरातत्व सामग्री के वैज्ञानिक विश्लेषण को समझने में समर्थ हैं। अयोध्या से उत्खनन में मिली मूर्तियां व स्तंभ वहां किसी हिंदू धार्मिक स्थल के मौजूद होने के पुख्ता प्रमाण दे रहे थे, जिन्हें छिपाया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अयोध्या से प्राप्त स्तंभ पर पूर्ण कलश अंकित है, जो कि हिन्दू धर्म में समृद्धि एवं वैभव का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम में मूर्ति पूजा निषेध है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अयोध्या से प्राप्त कई हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां इस्लाम से कैसे संबंधित हो सकती हैं? उन्होंने अलीगढ़ के इतिहासकारों के प्रपंच एवं झूठ को वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर उजागर किया।
‘आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की वर्तमान हालात ठीक नहीं’
डॉ. मोहम्मद ने कहा कि ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की वर्तमान हालत ठीक नहीं है। सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्खनन में प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों की रेप्लीका की मार्केटिंग, ब्रांडिंग और पैकेजिंग की भी जरूरत है, जिससे पुरातत्व अवशेषों को विशेष महत्व मिल सके और भारतीय सभ्यता-संस्कृति को व्यापक पैमाने पर रेखांकित किया जा सके।
– टीम न्यूज अपडेट यूपी