आनलाइन हाजिरी पर क्यों भड़के हैं गुरु जी !

परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की हड़ताल सवाल दर सवाल बवाल बनकर आधुनिक शिक्षा के शिक्षा दाताओं के किरदार पर लगातार प्रहार कर रहा है। आखिर आनलाईन हाजरी पर उबाल क्यों। सरकार की सुधारवादी व्यवस्था पर सवाल क्यों, देश की गिरती शिक्षा व्यवस्था पर अगर सरकार की मंशा सुधार वादी है तो शिक्षक परेशान क्यों हैं। क्यों समय से आने समय से जाने पर दिक्कत हो रही है। आखिर सरकार किस बात की सैलरी देती है।प्राथमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधारआवश्यक है यह तो हर नागरिक महसूस कर रहा है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का पतन हुआ उसी का परिणाम है कुकुरमुत्ता के तरह प्राईवेट विद्यालयों का मेला लग गया लोग महंगी फीस कापी देकर भी उन विद्यालयों में अपने बच्चो को भेज रहे हैं।कारण उपर की तस्वीरों को देखकर समझ गये होंगे।बेहतरीन सैलरी लेकर सरकारी शिक्षक बच्चों के भविष्य के साथ खुलेयाम मजाक उड़ा रहे हैं।शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए पहला कदम ही सरकार ने उठाया चन्द शिक्षकों की मनमर्जी विद्यालयों पर जाने वाले उन शिक्षकों के पेट में मरोड़ होने लगी,जो कभी शिक्षण कार्य को तवज्जो दिए ही नहीं। घर से चन्द कदम दूर घर का सारा कार्य निपटा कर विद्यालय में आकर खर्राटे भर रहे हैं हालांकि सारे शिक्षक एक जैसे नहीं हैं फिर भी शिक्षा व्यवस्था में दुर्व्यवस्था फैलाने वालों की संख्या पच्चास प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
ऑनलाईन हाजरी का एलान हुआ नहीं इस सम्वर्ग में तूफान उठ गया धरना प्रदर्शन अनशन त्याग पत्र देने तक मामला बढ़ गया। अब सरकार को चौधरी चरण सिंह जैसे कड़ा फैसला लेने का वक्त आ गया। सभी उन अध्यापकों का त्याग पत्र स्वीकार कर बर्खास्त कर देना चाहीए जो सच की तस्वीर स्वीकार करने से गुरेज कर रहे हैं।आखिर कब तक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा। प्राथमिक शिक्षकों का तबादला गैर जनपदीय अनिवार्य कर‌ दिया जाना चाहीए गृहजनपद में कभी भी किसी भी सूरत में नियुक्ति पर रोक लगा देना चाहीए। गजब साहब यह तो हालत वहीं हो गयी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। गजब का जोर है हर तरफ शोर है अब शिक्षा का मन्दिर मेहनत कस उस गुरू परम्परा से दूर है जिनके सम्मान में हर छात्र नतमस्तक हो जाता था।अब तो हाथ में मोबाईल फिल्मी स्टाईल माडर्न रहन सहन हर मिनट पर मैसेज फिर भी सबसे बेहतरीन सरकारी पैकेज,आखिर क्यूं ,न समय से स्कूल न समय से शिक्षा,न अब पहले जैसी परीक्षा ,न शिक्षा की समीक्षा,पढ़े ना पढ़ाए उनकी इच्छा, उस पर भी तूर्रा यह की आन लाईन हस्ताक्षर गलत है क्यो भाई इसमें क्या गलत है! थोड़ी भी शर्म हया है की नही! एक पुलिस का जवान चौबीस घन्टें डियूटी करता और तन्खाह प्राथमिक शिक्षक की आधी पाता है। हर सुबह रवानगी हर शाम वापसी दर्ज होना अनिवार्य है लेकिन गुरू शिष्य परम्परा को पीछे छोड़कर शिक्षा जगत में अनगिनत गलतियों को समेटे हर रोज स्वक्षन्द आनन्द लेने वाले बन्धुओ आखिर परेशानी क्यों बढ़ गयी। शहर से लेकर गांव तक हलचल है प्राथमिक शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा सरकारी धन का खुलेयाम दुरुपयोग करने वाले शिक्षकों पर कानून का नकेल कसा जाना अतिआवश्यक हो गया है। जिस तरह प्राथमिक शिक्षा में गिरावट और मिलावट का दौर शुरू हुआ है उसमें गुणात्मक सुधार के लिए कड़ा कदम आवश्यक हो गया है। इसके लिए सरकार को सख्ती के साथ मजबूत कदम उठाना ही होगा।सख्ती के साथ धरना प्रदर्शन पर रोक लगा देना चाहीए! ताकी बदलाव की हवा जोर पकड़ सके।बेकारी के इस युग में हड़ताल की धमकी वाह भाई जरा सम्हल के आगे खतरा।

– पिंटू सिंह
टीम न्यूज़ अपडेट यूपी

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